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Thursday 10 August 2017

लखनऊ पहुंची शूटर दादी, बताया कैसे एक छोटी घटना ने बदल दी जिंदगी


     
अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय मीडिया के अलावा डिस्कवरी, नेशनल ज्योग्राफिक चैनल तक खास पहचान बनाने वाली शूटर दादी प्रकाशी तोमर ने कहा 20 साल पहले लोग उनकी निशानेबाजी को देखकर ताने देते थे। कहते थे कि ‘छोरियां अब बंदूक चलावे हैं। बुड्ढी का दिमाग खराब हवे है। कारगिल में लड़न के लिए भेज दें। बड्डी निशानची बने है।’ 
आज वही लोग अपनी बेटियों को निशानेबाजी सिखाने के लिए भेजते हैं। शूटर दादी यहां शनिवार को फिक्की के एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लखनऊ आई हैं।

शुक्रवार को लखनऊ पहुंची 80 वर्षीय शूटर दादी से अमर उजाला को बताया कि गांव के जगवीर सिंह सबसे ज्यादा उनका और उनकी जेठानी चंद्रा तोमर का मजाक उड़ाया करते थे। अब खुद उनकी पोती रेशू सिंह शूटिंग में है। 

रेशू को उन्हीं ने शूटिंग रेंज में पिस्टल से निशाना लगाना सिखाया है। अब वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल रही है। उन्हीं की तरह मजाक उड़ाने वालों में कालूराम भी थे। अब खुद की बेटी आशा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने जा रही है।

छोटी सी घटना ने बदली जिंदगी
    शूटर दादी का कहना है कि एक छोटी सी घटना ने पूरी जिंदगी बदल दी। बेटी सीमा और रूबी को निशानेबाजी सिखाने केलिए शूटिंग रेंज लेकर जाती थी। 
      एक दिन पिस्टल में छर्रा फंसा तो ऐसे ही निशाना लगा दिया। पिस्टल चल गई तो निशाना सही जगह लगा। कोच ने दोबारा से वैसा ही कराया। इसके बाद यह रोज का काम हो गया। प्रशिक्षण के बाद एक दिन दिल्ली में देश के जाने-माने निशानेबाज और आईपीएस अधिकारी धीरज सिंह को हरा दिया। 
     यह तब किया जबकि .32 बोर की पिस्टल पहली बार चलाई थी। अब दो दर्जन से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीतने के बाद जोहड़ी में लड़कियों को निशानेबाजी सिखाने में मदद कर रही हूं। उन्होंने कहा कि जब वह होती हैं तो लोग अपनी लड़कियों को निशानेबाजी सीखने के लिए भेजने में नहीं झिझकते हैं। 

तीसरी पीढ़ी भी निशानेबाजी में
दर्जनों पुरस्कार और प्रतियोगिताएं जीत चुकीं प्रकाशी तोमर और उनकी जेठानी के बाद अब उनकी तीसरी पीढ़ी निशानेबाजी के क्षेत्र में है। 
    प्रकाशी की बेटी सीमा जहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी है, वहीं सेना में कमीशन पा चुकी है। पोतियां रूबी (पंजाब पुलिस में दरोगा), प्रीति, मोनिका और सोनिया भी निशानेबाजी में देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। बेटी रेखा अब निशानेबाजी को छोड़ चुकी है। वहीं चंद्रो का पोता चिराग भी निशानेबाजी करता है।

जल्द बनेगी शूटर दादी पर फिल्म
कई निर्माता-निर्देशक दादी की बेटी सीमा के संपर्क में हैं। वह उनकी जिंदगी पर एक फिल्म बनाना चाहते हैं। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय मीडिया के अलावा डिस्कवरी, नेशनल ज्योग्राफिक चैनल तक डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी हैं। राज्यपाल शूटिंग रेंज का उद्घाटन करने जोहड़ी गांव गए थे। 

अब लड़कियां बचाने के अभियान से जुड़ी
शूटर दादी ने बताया कि लड़कियों को प्रशिक्षण देने के अलावा अभी बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान से जुड़ी हूं। इसके ऑडियो-वीडियो शूट हो चुके हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के 100 वीमेन अचीवर्स में शामिल और राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुकीं प्रकाशी तोमर लड़कियों के लिए बन चुकीं रूढ़ियों को तोड़ने की कवायद में जुटी हैं।


ब्यूरो/अमरउजाला, लखनऊ

Updated Sat, 29 Apr 2017

Super Women At This Do @ Hindustan Times Feb 2016


The gunslinger grannies of Uttar Pradesh are defying age and convention

On Women's Day, meet the gunslinger grannies who are inspiring a new crop of shooting stars in UP’s sugarcane belt

Amid miles of sugarcane shoots, trucks emerging from brick kilns and the odd bullock cart, you can easily miss the road to Johri, an inconspicuous village that connects the western Uttar Pradesh towns of Baghpat and Baraut. 

But in the last few years, politicians, sports scouts and journalists have been thronging the village to visit a shooting range made famous by a pair of grandma sharpshooters. "Tomar dadiyon ka gaon? Just drive four kilometres and take right," is the advice from one in a group of people waiting for a UP Roadways bus.

"Prakashi dadi is at the gher (barn)," says her grandson Gaurav Tomar, as he ushers us into a modest living room where a black-and- white picture of Sonia Gandhi with two pistol-wielding women clad in ghagras and shirts takes pride of place next to a handwritten note from actor Aamir Khan and hundreds of medals, mementoes and assorted memorabilia. 

We follow Tomar into the barn where four buffalos chewing on cud make nervous noises as they see journalists walk towards an elderly woman plastering cow-dung cakes onto a wall. She may have hit bullseye and helped change attitudes in Uttar Pradesh’s feudal villages with her shooting exploits, but back home 

Prakashi Tomar, 74, is just another country woman tending to buffaloes. "When the men are away working in the fields, women of the house have to look after the animals. I am not any different, beta," says Prakashi Tomar.

Closeted Conversations: Pooja Bhatt to Revolver Dadi – women changemakers spill secrets of the heart

Through their crisp 15-20 minute segment, the speakers inspired the audience and helped them explore their identity and change mindsets in the rapidly evolving society.

   
 Power, perseverance and positivity — women reflect all that, and much more! Breaking all the barriers of the society, women are coming out of their closets and inspiring the tribe to follow in their footsteps or pave their own path of freedom. Pulling out all the stops, Shift Series set out to elaborate on the theme of ‘Closeted Conversations’ and discuss ‘Women of Substance’ as a broad segment.
Speaking on different aspects of empowerment and equality, women changemakers such as Pooja Bhatt, Sarwar Khan, Namrata Joshipura, Shreiyah Sabharwal, Prakashini Tomar (Revolver Dadi), Sundeep Rao, Kavita Arora, Sonali Rastogi, Nithya Shanti, Ashwini Bhadur, Shalini Kochher, Ani Choying Drolma and Sonal Munjal took to the stage to share their experiences at The Q’la nestled near Qutub Minar on March 23 in the capital.

"पहली बार राजपथ पर परेड देखने आएंगी "रिवॉल्वर दादी""

दैनिक जागरण , नई दिल्ली 2016 में 
महिला व बाल विकास मंत्रालय ने बनाया मेहमान, 60 साल की उम्र में बागपत की प्रकाशी तोमर ने थामी थी बंदूक।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। राजपथ पर परेड देखने की बात कहते ही प्रकाशी तोमर (75) की आंखें खुशी से चमक उठती हैं। वह कहती है कि उन्होंने टीवी पर ही परेड को देखा है। जीवन में पहली बार लाइव परेड देखेंगी। बागपत की राष्ट्रीय निशानेबाज प्रकाशी तोमर को महिला व बाल विकास मंत्रालय ने परेड देखने के लिए विशेष तौर पर आमंत्रित किया है। उन्हें मंत्रालय ने 100 वुमन अचीवर्स में भी जगह दी है।
हाल ही में मंत्रालय ने उन्हें सम्मानित किया तो 22 जनवरी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा दिए गए भोज में वह शामिल हुईं। प्रकाशी तोमर ने जो इतिहास गढ़ा है वह किसी और के लिए सपना ही है। गृहस्थी के साथ खेतीबाड़ी संभालने वाली बागपत (उत्तर प्रदेश) के जोहड़ी गांव की प्रकाशी ने 60 साल की उम्र में पहली बार बंदूक को हाथों में लिया।
राज्य व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पदकों पर जमकर निशाना साधा। उनके इस कारनामे को देखकर फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने उनकी फोटो साझा की। प्रकाशी के घर में ही बेटी से लेकर पोती तक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज हैं।
जोहड़ी गांव शूटिंग के लिए उर्वरा जमीन है। इस कारण भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) ने वहां शूटिंग रेंज खोली है। प्रकाशी ने भी खुद की भी शूटिंग रेंज खोली है, जहां वह गांव की युवतियों को प्रशिक्षण दे रही हैं। प्रकाशी ने जागरण से बातचीत में बताया कि जब वह 60 साल की थी, तो गांव में एक निजी शूटिंग रेंज खुली।
इसमें उनकी बेटी और पोती शूटिंग सीखने जाती थीं। एक बार ऐसे ही मजाक-मजाक में उन्होंने बंदूक हाथ में लिया, गोली निशाने पर लगी। फिर शुरू हो गया निशानेबाज बनने का सफर। वह बताती हैं कि शुरुआत में गांव में उनका मजाक उड़ाया जाता था। लोग ताने देते थे कि बुढ़िया इस उम्र में कारगिल जाएगी।
उन्होंने प्रयास जारी रखा और निशाना सटीक लगाने के लिए हाथ में रोजाना पानी भरा जग लेकर अभ्यास करने लगीं। तब पति भी मजाक उड़ाते थे, लेकिन अब वक्त ऐसा आया है कि लोग सम्मान से उन्हें कार्यक्रमों में बुलाते हैं।
उन्होंने राज्य स्तर की कई प्रतियोगिताओं में पदक जीतने के अलावा दो बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीता है। वह कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पर गांव में शूटिंग का और बेहतर माहौल बनाने की मांग करेंगी।
"पहली बार राजपथ पर परेड देखने आएंगी "रिवॉल्वर दादी"", http://mnaidunia.jagran.com/national-revolver-dadi-prakashi-tomar-will-watch-the-parade-on-rajpath-644237 from naidunia

Wednesday 22 March 2017

In Satyamev Jayate Show

Shooter Dadi
Prakasho Tomar accompanied her grand-daughter to the local shooting club, and her skill when she tried out a couple of shots impressed coach Farooq Pathan so much that he encouraged her to carry on. Today, Prakasho and her sister-in-law Chandro are dead-on sharpshooters, having won competitions throughout India. They began their shooting careers as 60- and 65-year-old grandmothers, but had to fight for acceptance. Prakasho recalls hiding behind walls and cars in the village to practice so she would not be seen and ridiculed. Today, Chandro says, “I’ve shown everyone there’s no disadvantages to my age. If you’re focused you can do anything.”

More People that showing In Satyamev Jayate

दादी प्रकाशो तोमर


साठ साल की उम्र में अपनी पौती के निशानेबाजी प्रशिक्षण में दादी प्रकाशो को निशानेबाजी का शौक चढ़ा। उसने शीघ्र इसमें अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। प्रकाशो तोमर ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में लगभग 32 मेडल जीतकर रिकार्ड कायम किया। उनका कहना है कि जब उन्होंने पहली बार चेन्नई व दिल्ली में मेडल जीते तो पुरुष निशानेबाजों ने मेडल लेने के लिए मेरे साथ मंच पर खड़े होने से इंकार कर दिया था। क्योंकि उन्हें एक बूढ़ी औरत के साथ मंच पर शर्म महसूस हो रही थी। आज प्रकाशो तोमर कई स्थानों पर शूटिंग प्रशिक्षण दे रही हैं। 80 वर्ष की इस उत्साही ग्रामीण महिला से युवा वर्ग को प्रेरणा लेना चाहिए।