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Thursday 10 August 2017

ये हैं 82 साल की सटीक निशानेबाज रिवॉल्वर दादी, वीडियो में देखिये अनोखा अंदाज़!

शूटर दादी तो आपको याद ही होगी, जिन्होंने नेशनल टीवी के रियलिटी शो ‘इंडिया गोट टैलेंट’ में धूम मचा दी थी. उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से ताल्लुख रखने वाली दादी निशाना लगाने में माहिर है और अब वो युवतियों में आत्मनिर्भरता जगा रहीं हैं.

अनोखी मिसाल हैं दादी-
उम्र के जिस पड़ाव में इन्साद जिंदगी से हर मान लेता है उस उम्र में शूटर दादी निशानेबाजी करतीं हैं.
दादी भारत के सबसे बड़े रियलिटी शो का हिस्सा भी रह चुकीं हैं.
दुनिया की सबसे उम्रदराज़ 82 वर्षीया दादी का नाम प्रकाशी है.
उनकी ढलती उम्र और कमज़ोर शरीर भी उन्हें अचूक निशानेबाजी करने से रोक नहीं पाई.
60 साल की उम्र में उन्होंने निशानेबाजी सीखना शुरू किया था.
तब लोग उनके इस जज्बें का मजाक उड़ाते थे.
जब दादी निशानेबाजी सीखने शूटिंग रेंज जाती थी तप लोग कहते थे कि बुढ़िया इस उम्र में कारगिल जाएगी क्या.
लेकिन दादी ने इस सब बातों की परवाह किये बगैर निशानेबाजी सीखी.
आज दादी न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत ने अपना नाम रोशन कर चुकीं हैं.
दादी ने गोल्ड मैडल सहित कई पदक और पुरस्कार जीते हैं.
अब दादी युवतियों को शूटिंग सीखती है.
दादी इस समय लखनऊ में है और उन्हें एक निजी कार्यक्रम में सम्मानित किया जायेगा.

www.uttarpradesh.org/sports/video-revolver-dadi-prakashi-sharpshooter-82-years-baghpat-21422/  April 28, 2017 7:40 pm  

"पहली बार राजपथ पर परेड देखने आएंगी "रिवॉल्वर दादी""

दैनिक जागरण , नई दिल्ली 2016 में 
महिला व बाल विकास मंत्रालय ने बनाया मेहमान, 60 साल की उम्र में बागपत की प्रकाशी तोमर ने थामी थी बंदूक।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। राजपथ पर परेड देखने की बात कहते ही प्रकाशी तोमर (75) की आंखें खुशी से चमक उठती हैं। वह कहती है कि उन्होंने टीवी पर ही परेड को देखा है। जीवन में पहली बार लाइव परेड देखेंगी। बागपत की राष्ट्रीय निशानेबाज प्रकाशी तोमर को महिला व बाल विकास मंत्रालय ने परेड देखने के लिए विशेष तौर पर आमंत्रित किया है। उन्हें मंत्रालय ने 100 वुमन अचीवर्स में भी जगह दी है।
हाल ही में मंत्रालय ने उन्हें सम्मानित किया तो 22 जनवरी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा दिए गए भोज में वह शामिल हुईं। प्रकाशी तोमर ने जो इतिहास गढ़ा है वह किसी और के लिए सपना ही है। गृहस्थी के साथ खेतीबाड़ी संभालने वाली बागपत (उत्तर प्रदेश) के जोहड़ी गांव की प्रकाशी ने 60 साल की उम्र में पहली बार बंदूक को हाथों में लिया।
राज्य व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पदकों पर जमकर निशाना साधा। उनके इस कारनामे को देखकर फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने उनकी फोटो साझा की। प्रकाशी के घर में ही बेटी से लेकर पोती तक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज हैं।
जोहड़ी गांव शूटिंग के लिए उर्वरा जमीन है। इस कारण भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) ने वहां शूटिंग रेंज खोली है। प्रकाशी ने भी खुद की भी शूटिंग रेंज खोली है, जहां वह गांव की युवतियों को प्रशिक्षण दे रही हैं। प्रकाशी ने जागरण से बातचीत में बताया कि जब वह 60 साल की थी, तो गांव में एक निजी शूटिंग रेंज खुली।
इसमें उनकी बेटी और पोती शूटिंग सीखने जाती थीं। एक बार ऐसे ही मजाक-मजाक में उन्होंने बंदूक हाथ में लिया, गोली निशाने पर लगी। फिर शुरू हो गया निशानेबाज बनने का सफर। वह बताती हैं कि शुरुआत में गांव में उनका मजाक उड़ाया जाता था। लोग ताने देते थे कि बुढ़िया इस उम्र में कारगिल जाएगी।
उन्होंने प्रयास जारी रखा और निशाना सटीक लगाने के लिए हाथ में रोजाना पानी भरा जग लेकर अभ्यास करने लगीं। तब पति भी मजाक उड़ाते थे, लेकिन अब वक्त ऐसा आया है कि लोग सम्मान से उन्हें कार्यक्रमों में बुलाते हैं।
उन्होंने राज्य स्तर की कई प्रतियोगिताओं में पदक जीतने के अलावा दो बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीता है। वह कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पर गांव में शूटिंग का और बेहतर माहौल बनाने की मांग करेंगी।
"पहली बार राजपथ पर परेड देखने आएंगी "रिवॉल्वर दादी"", http://mnaidunia.jagran.com/national-revolver-dadi-prakashi-tomar-will-watch-the-parade-on-rajpath-644237 from naidunia

Wednesday 22 March 2017

In Satyamev Jayate Show

Shooter Dadi
Prakasho Tomar accompanied her grand-daughter to the local shooting club, and her skill when she tried out a couple of shots impressed coach Farooq Pathan so much that he encouraged her to carry on. Today, Prakasho and her sister-in-law Chandro are dead-on sharpshooters, having won competitions throughout India. They began their shooting careers as 60- and 65-year-old grandmothers, but had to fight for acceptance. Prakasho recalls hiding behind walls and cars in the village to practice so she would not be seen and ridiculed. Today, Chandro says, “I’ve shown everyone there’s no disadvantages to my age. If you’re focused you can do anything.”

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दादी प्रकाशो तोमर


साठ साल की उम्र में अपनी पौती के निशानेबाजी प्रशिक्षण में दादी प्रकाशो को निशानेबाजी का शौक चढ़ा। उसने शीघ्र इसमें अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। प्रकाशो तोमर ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में लगभग 32 मेडल जीतकर रिकार्ड कायम किया। उनका कहना है कि जब उन्होंने पहली बार चेन्नई व दिल्ली में मेडल जीते तो पुरुष निशानेबाजों ने मेडल लेने के लिए मेरे साथ मंच पर खड़े होने से इंकार कर दिया था। क्योंकि उन्हें एक बूढ़ी औरत के साथ मंच पर शर्म महसूस हो रही थी। आज प्रकाशो तोमर कई स्थानों पर शूटिंग प्रशिक्षण दे रही हैं। 80 वर्ष की इस उत्साही ग्रामीण महिला से युवा वर्ग को प्रेरणा लेना चाहिए।